"होंठो से छू लो तुम मेरा गीत अमर करदो" ग़ज़ल से एक नई पहचान बनी थी ग़ज़ल किंग जगजीत सिंह जी की, जानते है उनके जीवन के कुछ अनसुने किस्सों के बारे में
- By Sheena --
- Tuesday, 10 Oct, 2023
Remember Gazal King Jagjit Singh on His Death Anniversary
Jagjit Singh Death Anniversary: ग़ज़लों के जगत के किंग कहलाते थे जगजीत सिंह जी। आज के ही दिन (10 अक्टूबर) दुनिया को कह दिया था अलविदा। उनकी आवाज मनो जैसे कि एक जादू था जिसके पीछे कल और आज की पीढ़ी भी काएल रही है। उन्होंने 10 अक्टूबर साल 2011 में आज ही के दिन दुनिया से रुखसत ली थी। उनकी आवाज में एक अलग ही दर्द था, जो शायद जिंदगी से ही उन्हें तोहफे में मिला था। आज हम आपको उनके जीवन के बारे में बताएंगे कि वह कहां के रहने वाले थे और उन्होंने कहां से शिक्षा हासिल की थी।
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राजस्थान में हुआ था जन्म
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में हुआ था। उनका असली नाम जगमोहन सिंह धीमान था, उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले से था। बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर जगजीत रख लिया।
शिक्षा और संगीतज्ञान
श्री गंगानगर के खालसा हाई स्कूल और सरकारी कॉलेज से एजुकेशन किया। इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज, जालंधर से कला की डिग्री प्राप्त की। शुरुआत की पढ़ाई के बाद उन्होंने 1961 में ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के जालंधर स्टेशन पर एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत कर दी। इसके बाद कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी हरियाणा से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी। साल 1976 में आए एल्बम 'द अनफॉरगेटेबल्स' से उनके करियर को रफ्तार मिली। जिंदगी ने एक बार फिर करवट ली और उनके जीवन में प्यार ने दस्तक दी। जगजीत सिंह को गायन और जिंदगी के सफर में चित्रा सिंह का साथ मिला।
मुंबई का सफर
जगजीत सिंह ने साल 1961 में ऑल इंडिया रेडियो में गाना शुरू किया था, उन्होंने संगीत की शुरुआती शिक्षा पंडित छगन लाल शर्मा और बाद में उस्ताद जमाल खान से ली थी। कुछ सालों तक ऑल इंडिया रेडियो में काम करने के बाद जगजीत अपने परिवार को बिना बताए, कुछ बड़ा हासिल करने के लिए मुंबई भाग आए।
1980 में आई एल्बम से मिली कामयाबी
जगजीत सिंह का एल्बम द लेटेस्ट 1980 में रिलीज हुआ था। इस एल्बम का गाना, वो कागज की कश्ती… वो बारिश का पानी, एक जबरदस्त हिट साबित हुआ। जगजीत ने इस गाने से हर किसी को अपना दीवाना बना दिया था। ये एल्बम उनकी जिंदगी का बेस्ट सेलिंग एल्बम रहा।
सरकार ने पद्म भूषण से किया अलंकृत
जगजीत सिंह 1987 में 'बियोंड टाइम अलबम' के साथ भारतीय संगीत के इतिहास में डिजिटल मल्टी ट्रैक रिकॉर्डिंग करने वाले पहले कंपोजर बने। जगजीत सिंह जी ने उस्ताद जमाल खान से खयाल, ठुमरी, ध्रुपद जैसी गायन विधाओं में महारत हासिल की। हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, सिंधी और नेपाली भाषाओं में अपनी आवाज का जादू बिखरने वाले जगजीत सिंह को 2003 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजा गया।
आधं घंटे बाद हुई थी विमान की लैंडिंग
एक बार है जब मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह पाकिस्तान इंटरनेशनल (पीआईए) के विमान से कराची से दिल्ली लौट रहे थे, तब जब विमान कर्मियों को जगजीत सिंह के बारे में पता चला तो उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें कुछ गजलें सुनाएं। जगजीत सिंह इसके लिए राजी हो गए और जब तक वो गजल सुनाते रहे विमान के पायलट ने कंट्रोल रूम से संपर्क कर कहा कि वो विमान को आधे घंटे तक हवा में ही रखेंगे, उस दिन पाआईए के विमान ने दिल्ली के हवाई अड्डे पर निर्धारित समय से आधे घंटे देर से लैंडिंग की थी।
70वें जन्मदिन में लिया 70 कॉन्सर्ट का कॉन्ट्रेक्ट लिया
साल 2011 में जगजीत सिंह ने 70 साल पूरे कर लिए। इस जन्मदिन के सेलिब्रेशन के लिए गजल किंग ने 70 कॉन्टर्स साइन किए। यूके, सिंगापुर और मोरिशस में कॉन्सर्ट करने के बाद सिंगर मुंबई में गुलाम अली के साथ परफॉर्म करने वाले थे हांलाकि इससे पहले ही उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। मुंबई के लीलीवती अस्पताल में दो हफ्तों तक कोमा में रहने के बाद गजल किंग ने 10 अक्टूबर,2011 को दम तोड़ दिया।